चैत्र नवरात्रि पर मां ज्वालामुखी के दरबार में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का सैलाब
शक्तिनगर,सोनभद्र। सोनभद्र जिले के शक्ति नगर थाना क्षेत्र में स्थित आदि शक्ति पीठ माँ ज्वालामुखी मंदिर धाम में माँ जगदंबा के दर्शन व पूजन के लिए सुबह 4:00 बजे से भक्तों की लंबी कतारें लगी रही और जय माता दी के जयकारों से समूचा मंदिर परिसर गुंजायमान रहा। धार्मिक मान्यता अनुसार माता सती के जिह्वे का अग्रभाग शक्तिनगर में गिरा था, जहां आज आदि शक्ति रूपा मां ज्वालामुखी विराजमान है।
शक्तिनगर में स्थित आदि शक्ति पीठ मां ज्वालामुखी मंदिर धाम में श्रद्धालुओं के पूजा पाठ का लगभग 500 वर्ष पुराना इतिहास है। सोनभद्र जिले से सटे चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार सीमावर्ती क्षेत्रों में मां ज्वालामुखी मंदिर हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है। चैत्र नवरात्र में मंदिर प्रांगण में लगभग 1 महीने तक चलने वाला विशाल मेला भी लगता है। सुबह 4:00 बजे से श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखने को मिली। सुरक्षा व्यवस्था व शांति बहाल करने हेतु पुलिस प्रशासन भी चाक-चौबंद व्यवस्था के साथ मुस्तैद रहा। आदि शक्ति पीठ मां ज्वालामुखी मंदिर में दिव्य अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है, जिसे जम्मू के कांगड़ा ज्वाला देवी के यहां से 9 नवंबर 2012 को लाया गया था। मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुराना नीम का पेड़ है, जिस से जुड़ी मान्यता है कि मौसम कोई भी हो नीम का पेड़ हरा भरा रहता है। साथ ही मंदिर के समीप प्राचीन जलकुंड है, जो कभी भी सूखता नहीं है और हमेशा स्वस्थ निर्मल बना रहता है। मान्यता है कि इस जलकुंड के पानी से नहाने व पीने मात्र से बहुत से दुख दूर हो जाते हैं। कोरोना महामारी के बाद हर्षोल्लास के साथ चैत्र नवरात्रि में मां जगदंबा के दर्शन पूजन के बाद भव्य मेले का आयोजन हो रहा है। देश के आजादी से पहले 1942 से लगने वाले मेले का आयोजन इस बार भी भव्यता के साथ हो रहा है। इस बार मेले का आयोजन निशुल्क किया जा रहा है। शक्तिनगर ज्वालामुखी मंदिर शक्तिपीठ है, जहां-जहां माता सती के अंग गिरते गए वहां शक्तिपीठ बना। माता सती के जिह्वे का अग्रभाग यहां गिरा, मंदिर परिसर में नीम का पौराणिक पेड़ है जिसमें माता रानी का वास माना जाता है और हर मौसम में नीम का पेड़ हरा भरा रहता है। मंदिर के समीप प्राचीन जलकुंड है जिसके ग्रहण मात्र से पेट संबंधी कई बीमारी ठीक हो जाती है।