गुरु तेग बहादुर ने दे दिया संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान: पीएम मोदी
नई दिल्ली. सिख गुरु तेग बहादुर के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लाल किला से देश को संबोधित किया. यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने रात में लाल किले से भाषण दिया. उन्होंने सबसे पहले गुरु के दरबार में मत्था टेका. इसके बाद गुरु दरबार में बैठकर शबद कीर्तन सुना.उल्लेखनीय है कि लाल किला में गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर पीएम मोदी ने एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत पूरी स्थिरता के साथ शांति के लिए काम करता है. हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है. आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है. ऐसा भारत बनाना है जिसका सामर्थ्य दुनिया देखे. देश का विकास हम सबका कर्तव्य है. इसके लिए सबके प्रयास की जरूरत है. मुझे पूरा भरोसा है कि गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा. हमें अपने जीवन का प्रत्येक क्षण देश के लिए लगाना है.उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान में संकट पैदा हुआ तो भारत सरकार ने पूरी ताकत लगा दी. गुरु ग्रंथ साहिब को सिर पर रखकर लाया गया. सिख भाइयों को भी बचाकर लाया गया. हमारे गुरुओं ने हमें मानवता को सबसे पहले रखने की सीख दी है. भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा पैदा नहीं किया. आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं. भारत विश्व में योग का प्रसार करता है तो पूरे विश्व के स्वास्थ्य के लिए.पीएम मोदी ने कहा कि हमारे गुरुओं ने हमेशा ज्ञान और आध्यात्म के साथ समाज और संस्कृति की जिम्मेदारी उठाई. गुरु तेग बहादुर ने संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान दे दिया. उस समय देश में मजहबी कट्टरता हावी थी. भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर के रूप में दिखी थी. औरंगजेब की आततायी शक्ति के सामने गुरु तेग बहादुर चट्टान बनकर खड़े हो गए थे. औरंगजेब और उसके जैसे अत्याचारियों ने भले ही अनेकों सिर को धड़ से अलग कर दिया, लेकिन हमारी आस्था को हमसे अलग नहीं कर पाए. गुरु तेग बहादुर के बलिदान ने भारत की आने पीढय़िों को अपनी संस्कृति के लिए मर मिटने की प्रेरणा दी.