मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से: कमलनाथ के बंगले पर कांग्रेस, सीएम हाउस में भाजपा विधायकों की बैठक



भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर से शुरू हो रहा है। पांच दिन तक चलने वाले इस सत्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस प्रदेश में खाद की कमी, गांवों में अघोषित कटौती, कानून व्यवस्था, आदिवासियों पर अत्याचार, महंगाई और रोजगार के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरेगी। इसे लेकर प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है।

दूसरी तरफ बीजेपी विधायकों की बैठक भी सीएम हाउस में बुलाई गई है। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित वरिष्ठ मंत्री पार्टी विधायकों को टिप्स देंगे कि विपक्ष के आरोपों का जवाब कैसे दिया जाए? दोनों बैठकें रविवार देर शाम होंगी।कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि सरकार न तो किसानों को खाद दे पा रही है और न ही बिजली। गांवों में अघोषित बिजली कटौती हो रही है। खाद लेने के लिए किसान दुकानों के बाहर लाइन लगाकर बैठे हैं। पुलिस लाठीचार्ज कर रही है। सरकार दावा कर रही है कि पर्याप्त मात्रा में खाद है। इसका जवाब सदन में लिया जाएगा। कानून व्यवस्था की स्थिति भी खराब है।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायक दल की बैठक में सदस्यों को परिवार सहित आने का न्योता दिया है। बैठक के बाद डिनर रखा गया है। इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और प्रदेश सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा और शिवराज कैबिनेट के सभी सदस्य भी मौजूद रहेंगे।

डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट सबके सामने है। भाजपा सरकार प्रति वर्ष एक लाख रोजगार देने का दावा कर रही है, लेकिन प्रदेश में 30 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं। जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर आदिवासियों को गुमराह करने का काम किया है। इन सभी मुद्दों को विधानसभा में उठाया जाएगा।विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र शांतिपूर्ण तरीके से चले और सारगर्भित चर्चा हो, इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम रविवार को सर्वदलीय बैठक करेंगे। यह बैठक दोपहर 12 बजे विधानसभा में होगी। इसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के वरिष्ठ सदस्यों साथ चर्चा की जाएगी। इस बात पर सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा कि प्रश्नकाल बाधित न हो। प्रश्नकर्ता को प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाए। दरअसल, पिछले कुछ सत्रों में यह देखा गया है कि प्रश्नकाल वाद-विवाद में ही निकल जाता है। प्रश्नकर्ता को मौका ही नहीं मिल पाता।