वर्दी की चाहत शुरू से थी और बन गई थानेदार
*पढ़ाई का ऐसा जुनून की 2किमी पदैल चलकर जाती थी स्कूल और कॉलेज*
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*नए साल में कुछ खास जो रहे हमेशा याद दूसरों को भी दे कुछ बनने का हौसला*
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*(विशाल रजक दमोह/भोपाल विशेष कवरेज-9630278207)*
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एक युवती ने पुलिस की नौकरी पाने की लालसा स्कूल के ही दौरान जगा ली थी यह ललक इतनी तेज थी कि अपने घर से 2 किमी दूर स्कूल फिर कॉलेज पदैल ही गई पढ़ाई के बाद शिक्षक बन गई इसके बाद पटवारी बन गई लेकिन वर्दी की चाहत शुरू से थी और पुलिस मे जाने लालसा बनी रही आखिरकार पुलिस की वर्दी पहनकर ही मानी सविता रजक
हम यह बात कर रहे हैं दमोह जिले की रनेह थाना प्रभारी सविता रजक की जिनका जीवन और उनके स्वयं के संकल्प हताशा व निराशा लोगों के जीवन में नई आशा की किरण जगा सकते हैं मध्यप्रदेश के सागर जिले की रहली निवासी सविता रजक का शिक्षाकाल संघर्षपूर्ण रहा पिता की नौकरी चली गई एक भाई था जिसकी तालाब में डूबकर मौत हो गई अब घर में रह गई आठ बहनें और मां दो बहनों की शादी हो चुकी थी जब सविता क़ जिम्मेदारी का अहसास हुआ तो उन्होंने सरकारी सेवा में केवल पुलिस की नौकरी का दृढ़ संकल्प लिया इस संकल्प के लिए उन्होंने स्कूल लाइफ से मन मस्तिष्क में बिठाया और पुलिस की नौकरी करने लायक अपने शरीर को ढालने का प्रयास किया अध्ययन के दौरान स्कूल व कॉलेज वह पदैल ही चलकर जाती थी पढ़ाई के बाद 2007 में रहली में शिक्षक बन गई इसी दौरान पटवारी की परीक्षा का फार्म भर दिया और 2008 में रहली में ही पटवारी के पद पर चयन हो गया पटवारी की नौकरी करते हुए उन्होंने पुलिस की वर्दी पहने की चाहत नहीं नहीं छोड़े उनकी मेहनत और लगन से 2014 में सफलता मिली उनका चयन पुलिस महकमे में उपनिरीक्षक पद के लिए किया गया ट्रेनिंग के बाद पहली पदस्थापना दमोह देहात थाना में हुई हैं तबसे जिले के अन्य थानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है इमलिया चौकी प्रभारी के पद पर पदस्थ रहते हुए 25 हजार के ईनामी हत्या के आरोपी को पकड़ने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिस पर गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें जिला प्रशासन एवं पुलिस के आलाधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया था
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*जीवन का ध्येय बनाना जरूरी सविता*
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रनेह थाना प्रभारी सविता रजक अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर दूसरों को प्रेरणा देती है कि आप जो चाहते हैं उसका सपना संजोए दृढ़ संकल्प करें और अथक परिश्रम कर तैयारी करें तो एक दिन सफलता जरुर मिलेगी समय लगने के कारण कभी कभी धैर्य टूटने लगता है लेकिन हमें कहीं न कहीं आशा की किरण नजर आने लगती है और यही सब कुछ सविता के जीवन में भी घटित हुआ है जिससे वह प्रेरित करती है कि अपने लक्ष्य को साध कर हौसलों की उड़ान भरें तो निश्चित ही एक दिन सफलता आपके द्वार पर खड़ी होगी