सरकार का बड़ा एजेंडा
नागरिकता विधेयक के साथ ही सरकार ने बेहद चुनौतीपूर्ण समझे जा रहे अपने दो प्रमुख एजेंडे को पूरा कर लिया है। मोदी सरकार-दो में धारा 370 समाप्त करने के फैसले के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक को बड़ी चुनौती माना जा रहा था। विपक्ष के विरोध से ज्यादा पूर्वोत्तर में इस मसले पर विरोध की चिंता एजेंसियों ने जताई थी। लेकिन सरकार ने इस विधेयक पर भी अपना दांव लगाया। अब गृहमंत्री अमित शाह की सबसे बड़ी चुनौती कश्मीर के साथ पूर्वोत्तर में भी स्थिति को सामान्य बनाए रखने की है। गृहमंत्रालय ने पूर्वोत्तर खासकर असम में आंदोलन की स्थिति को देखते हुए करीब 70 अद्र्धसैन्य बलों की कंपनियां वहां भेजी है। सरकार की स्थिति पर पूरी नजर है। सरकार स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। जानकारों का मानना है कि इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि सरकार ने बहुत ही उलझे हुए मसलों पर निर्णायक फैसले लेने की क्षमता दिखाई है। सरकार ने तेजी से फैसले किए हैं। गृहमंत्री शाह ने अपनी छवि के मुताबिक जोखिम से परहेज नहीं किया। लेकिन सरकार का फैसला कितना सही साबित हुआ इसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है। मुख्यधारा के नेताओं की गिरफ्तारी की वजह से सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विभिन्न समूहों का विरोध सामने आ रहा है। आशंका इस बात की जताई जा रही है कि अगर पूर्वोत्तर के समूहों की चिंताओं का समाधान न हुआ तो स्थानीय पहचान का मुद्दा बड़ा हो सकता है। वहां ये हिंदू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है। स्थानीय विशिष्ट समुदाय अपनी पहचान और संसाधनों पर हक को लेकर चिंता जता रहे हैं। अब सरकार के सामने अगला बड़ा मुद्दा एनआरसी का है। गृहमंत्री शाह कह चुके हैं कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा। उन्होंने लोकसभा में कहा था कि एनआरसी आने वाला है। सूत्रों ने कहा, अगर नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार सफल रही तो एनआरसी पर जल्द आगे बढ़ेगी। इसके लिए गृहमंत्रालय में होमवर्क चल रहा है। अलग अलग राज्यों की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। मोदी सरकार-2 में चुनावी घोषणा पत्र में किए गए तीन बड़े संघ की बरसों से लंबित मांगों में से एक हैं। भाजपा ने 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून लाने और एक बार में तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने का वादा किया था। माना जा रहा है कि सरकार अब आने वाले वक्त में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े कानूनों पर भी काम शुरू कर सकती है। बीजेपी नेताओं के साथ ही संघ नेताओं को उम्मीद है कि अब इस वादे को पूरा करने की दिशा में काम किया जाएगा। संघ के एक नेता ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बेहद जरूरी है। जिस तरह से कई राज्यों की डेमोग्राफी बदल गई है उसे देखते हुए इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। संघ नेता के मुताबिक बीजेपी ने भी इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है और हमें उम्मीद है कि जिस तरह तीन अहम वादे पूरे किए गए हैं उसी तरह जल्द ही यह भी पूरा होगा।