मेधावी छात्र को दाखिला पाने का हक: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी मेधावी और योग्य छात्र को बगैर उसकी गलती के दाखिला देने से इनकार किया जाता है तो कोर्ट उस छात्र को प्रवेश देने का आदेश दे सकता है। कोर्ट उस छात्र के लिए या तो सीटों की संख्या बढ़ा सकता है या मेरिट लिस्ट में सबसे नीचे वाले छात्र का दाखिला रद्द कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा सत्र की कट-ऑफ तारीख (30 सितंबर) खत्म होने की स्थिति में छात्र को अगले सत्र में प्रबंधन कोटे से दाखिल दिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में छात्र को दाखिले के अलावा मुआवजा भी दिया जा सकता है। दरअसल, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने एमबीबीएस में प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ही दो विरोधाभासी फैसलों का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया। बेंच ने कहा, अगर किसी मेधावी छात्र को बिना उसकी गलती दाखिला देने से इनकार किया जाता है और वह समय पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है तो उसे उचित राहत न देना न्याय को नकाराने जैसा होगा। पीठ ने 2014 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें कहा गया कि ऐसे छात्र को राहत के तौर पर सिर्फ मुआवजा दिया जा सकता है। पीठ ने कहा कि यह सही न्याय नहीं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। किसी मेधावी छात्र के लिए मेडिकल कोर्स में दाखिला लेना उसकी जिंदगी का अहम मोड़ है।