-बोले, बिहार में किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे
मेरी पार्टी ने नागरिकता कानून का समर्थन किया लेकिन मैंने इसका विरोध किया : प्रशांत किशोर
नई दिल्ली । संशोधन नागरिकता कानून को लेकर पूरे देश में आंदोलन प्रदर्शन जारी हैं। संसद में नीतीश कुमार की पार्टी जनता जल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस बिल का समर्थन किया था, हालांकि जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर इसका विरोध करते आए हैं। अब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ऑफ इंडिया (एनआरसी) के मुद्दे पर भी किशोर ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा, 'मैं इसकी मंशा के पीछे नहीं जा रहा हूं। हकीकत में जब इस तरह के कानून लागू होते हैं तो वह गरीब ही होते हैं जो सबसे ज्यादा इससे प्रताड़ित होते हैं। जैसे नोटबंदी, इसे लागू करने का मकसद था कि जिन लोगों के पास कालाधन है, उन लोगों पर चोट की जाए। अमीरों के पास ही कालाधन होता है। आखिरकार किसने इसकी कीमत चुकाई, गरीब आदमी ने इसकी कीमत चुकाई जिसके पास कालाधन था भी नहीं। उन्हें लाइन में लगना पड़ा।'
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, 'एनआरसी की बात करें तो अपनी नागरिकता साबित करने के लिए हर किसी को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे। बहुत से लोगों के पास दस्तावेज नहीं होंगे या उन्हें वो हासिल नहीं कर पाएंगे। अगर दस्तावेज हैं भी तो इसके लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे। इससे वो प्रताड़ित होंगे, भ्रष्टाचार बढ़ेगा व अन्य कई तकलीफें पैदा होंगी। 20 करोड़ लोगों के पास अपना घर नहीं है, वो लोग अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे।' जेडीयू उपाध्यक्ष ने आगे कहा, 'एनआरसी के लिए आधार या वोटर आईडी कार्ड की बात होनी चाहिए या तो सरकार ऐसा कह दे कि जिनके पास आधार और वोटर कार्ड हैं वो लोग भारत के नागरिक हैं, लेकिन वो (सरकार) ऐसा नहीं कह रहे हैं। इसका मतलब है कि एनआरसी के लिए हमें आधार और वोटर कार्ड से आगे के दस्तावेज दिखाने होंगे। हम ऐसा क्यों कर रहे हैं। मान लेते हैं कि देश में तीन प्रतिशत लोग अवैध तरीके से रह रहे हैं तो उनका पता लगाने के लिए आप कोई दूसरा तरीका अपनाएं और उन्हें बाहर करें, उसमें कोई हर्ज नहीं।'
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, 'मैं भारत का नागरिक हूं और मुझे इसे साबित करने की क्या जरूरत है। मैं सरकार के इस फैसले को समझ नहीं पा रहा हूं। अगर सरकार देश में एनआरसी लागू करने का जिक्र नहीं करती तो नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा हो सकती है, इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर सरकार इसके कॉम्बिनेशन की बात कहती है तो फिर यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। फिर यह न ही धार्मिक बल्कि वर्गीय आधार पर भी भेदभाव करता है।' उन्होंने आगे कहा, 'मेरी पार्टी ने नागरिकता कानून का समर्थन किया लेकिन मैंने इसका विरोध किया। समर्थन के बारे में पार्टी के मुखिया (नीतीश कुमार) ही बता सकते हैं। पार्टी कई बार कह चुकी है कि एनआरसी की बिहार में कोई जरूरत नहीं है और उन्होंने (नीतीश कुमार) मुझे भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर पार्टी का रुख कायम रहेगा, इसे बदलने की कोई जरूरत नहीं और मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार में कोई एनआरसी नहीं होगा। देशभर में एनआरसी करना मुमकिन नहीं है।'